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Tuesday, September 21, 2010

जेलर भारत भूषण भट्ट



तुम बहुत याद आए...
सूरतगढ़। कहते हैं कि जाने वाले कभी नहीं आते... बस उनकी याद आती है। जेलर भारतभूषण भट्ट आज हमारे बीच नहीं हैं। कल तक जोधपुर सेन्ट्रल जेल में जेलर पद रहे भारतभूषण भट्ट की बस याद ही बाकी रही है। फिल्मों में पुलिस अधिकारी का किरदार निभाने वाले और जोधपुर सहित प्रदेश की कई जेलों में जेलर रहे भारतभूषण भट्ट की शनिवार को फिल्मी अंदाज में उन्हीं की जेल में असली बंदी ने जान ले ली। इस घटना ने जोधपुर के कला प्रेमियों को ही नहीं बल्कि सूरतगढ़ के नागरिकों को भी स्तब्ध कर दिया। भट्ट का सूरतगढ़ से गहरा सम्बंध रहा है। यूं कहे कि 1970 में हायर सैकेण्डरी उन्होंने सूरतगढ़ राठी स्कूल से ही पास की थी। उस वक्त उनके पिता सी बी भट्ट सूरतगढ़ उपनिवेशन विभाग में सह आयुक्त पद पर तैनात थे। डॉ. टी.एल. अरोड़ा और राजेन्द्र भादू हायर सैकेण्डरी स्कूल में भारतभूषण के सहपाठी हुआ करते थे। अखबारों के जरिए इन्हें भारतभूषण भट्ट की हत्या की सूचना मिली तो उनकी आंखें भर आई। गुजरे जमाने की याद ताजा करते हुए वे कहते हैं कि भारत भूषण अपने छात्र जीवन से ही होनहार छात्रों में शुमार थे। भारत भूषण विभिन्न प्रतियोगिताओं में बढ़-चढ़ कर भाग लिया करते थे और उनमें अव्वल भी रहते। भारतभूषण को अभिनय का शुरू से ही शौक रहा। भट्ट फिल्मों में जाने के इच्छुक थे, लेकिन भाग्य ने उन्हें सरकारी सेवा में पहुंचा दिया। सरकारी सेवा में आने के बाद जैतसर खुली जेल में जेलर रहे। उसके बाद विभिन्न जेलों में रहते हुए जोधपुर सेन्ट्रल जेल में जेलर पद तक पहुंचे। सरकारी सेवा में रहते हुए भी अभिनय का उनका शौक बना रहा। उनका दिल हमेशा कैमरे के सामने आने के लिए ही धड़कता था। वे जेलर थे और कैदियों के बीच रहते जरूर थे लेकिन जेलर जैसी कठोरता कहीं नहीं दिखती थी। फिल्म निर्माता के.सी. बोकाडिय़ा की फिल्म 'तेरी मेहरबानियां' में उन्हें जेलर का रोल मिला। इसके बाद नौकरी करते हुए भट्ट ने 38 फिल्मों में किरदार निभाया । उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। तेरी मेहरबानियां फिल्म में अपना पहला शॉट भट्ट ने मशहूर अभिनेता अमरीश पुरी के साथ दिया था। यह भी अजीब संयोग है कि अमरीश पुरी ने अपनी जिंदगी का अंतिम शॉट भट्ट के साथ दिया था। फिल्म कच्ची सड़क का यह शॉट जोधपुर जेल में फिल्माया गया था। शनिवार को उसी जेल में उनकी हत्या हो गई। गत 27 अगस्त को जोधपुर में प्रदर्शित जयपुर बम ब्लास्ट पर आधारित एनके पारीक निर्देशित फिल्म 13 मई गुलाबी नगर उनकी अंतिम फिल्म थी। हाल के दिनों में उनका मन पूरी तरह बदल गया था। करीब एक महीने पहले भारतभूषण भट्ट ने कहा था, 'बस जेलर की नौकरी छोड़ने ही वाला हूं। अब सिर्फ और सिर्फ अभिनय करूंगा। मैं एक फिल्म भी निर्देशित करने की भी सोच रहा हूं।' वे स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेना चाहते थे।
जेलों में फैले 'जंगलराज' ने एक महान 'शख्सियत' को हमसे छीन लिया है। जो लोग इस शख्सियत के करीब रहे हैं अथवा जो उन्हें जानते हैं उनकी आंखें नम है और उन नम आंखों में 'आंसू' हैं। इस महान 'शख्सियत' की 'शहादत' को हमारा 'सलाम'।

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